अनंतपुर , आँध्र प्रदेश
के उरवकोंडा वाले हज्रत
भं -भं शेखुस्सेन दास साहेब के पारमार्थिक उपदेश
बोलना चालना छोड्रना दुनियां दिल्में बसेरा होनारे
साँचे पीर का मुरीद
बनातो सर्दार होकर जानारे “ बोलना चालना “
तिन्का है भेद मन से
मिलाकत मुहम्मद को बर जानोरे
साँचे मुहम्मद साहेब मेरा
सर पे तुर्रा
लानरे “ बोलना चालना “
पाँच अनासिर पच्चीस गुण
का दिल में
बसेरा होनारे
सात सिफ़त की
मानी खुलीतो सिर्रेअना
को पानारे “ बोलना चालना
“
माया है दुन्याँ
मन से मिलाकत
मुहम्मद को बर
जानोरे
तार है जंजं
दिल है लिंगम
दीद पहचानत होनारे “ बोलना चालना “
तन की है
बंग्डी मन से
मिलाकत नूरे मुहम्मद
जानोरे
नूर मे आली
दुन्याँ है खाली
दिल में समझ
कर देखोरे “ बोलना चालना
“
जाति में ज्योति
दिल है साथी
दीद पह्चानत होनारे
पीर है आला
भं भं बोला
पीर से मिल्ने
पानारे
सेवा से पाया
शेखुस्सेन बोला सुननेवाला
आलारे “ बोलना चालना “
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